Saturday, 4 February 2017

आज की राजनीति:

घोर राजनैतिक पोस्ट

एक अँधा भीख मांगता हुआ राजा के द्वार पर पंहुचा।राजा को उस पर दया आ गयी,राजा ने प्रधानमंत्री से कहा-"यह भिक्षुक जन्मान्ध नहीं है,यह ठीक हो सकता है,इसे राजवैद्य के पास ले चलो।"

(दोनों उसे पकड़कर ले जाते हैं)रास्ते में राजा का मंत्री कहता है "महाराज आपसे एकांत में कुछ कहना चाहता हूं।"दोनों भिक्षुक को वहीँ बैठाकर दूसरी ओर जाते हैं।

मंत्री कहता है "महाराज यह भिक्षुक शरीर से हृष्ट-पुष्ट है,यदि इसकी रौशनी लौट आयी तो इसे आपका सारा भ्र्ष्टाचार दिखेगा,आपकी शानोशौकत और फिजूलखर्ची इसे दिखेगी।आपके राजमहल की विलासिता और आपके रनिवास का अथाह खर्च इसे दिखेगा,इसे यह भी दिखेगा कि जनता भूख और प्यास से तड़प रही है,सूखे से अनाज का उत्पादन हुआ ही नहीं और आपके सैनिक पहले से चौगुना लगन वसूल रहे हैं।

शाही खर्चे में बढ़ोत्तरी के कारण राजकोष रिक्त हो रहा है ,जिसकी भरपाई हम सेना में कटौती करके कर रहे हैं ,इससे हजारों सैनिक और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं।
ठीक होने पर यह भिक्षुक औरों की तरह ही रोजगार की मांग करेगा और आपका ही विरोधी बन जायेगा।

मेरी मानिये तो यह आपसे मात्र दो वक्त का भोजन ही तो मांगता है,इसे आप राजमहल में बैठाकर  मुफ्त में सुबह-शाम भोजन कराइये और दिन भर इसे  घूमने के लिए छोड़ दीजिये।यह आपका पूरे राज्य में गुणगान करता फिरेगा,कि राजा बहुत न्यायी हैं,बहुत ही दयावान और परोपकारी हैं।इस तरह मुफ्त में खिलाने से आपका संकट कम होगा और आप लंबे समय तक शासन कर सकेंगे।"

राजा को यह बात समझ में आ गयी,वह वापस अंधे के पास गया और दोनों उसे उठाकर राजमहल ले आये।अब अँधा राजा का पूरे राज्य में गुणगान करता फिरता है,उसे यह नहीं पता कि राजा ने उसके साथ धूर्तता की है,छल किया है,वह ठीक होकर स्वयं कमा कर अपनी आँखों से संसार  का आनंद ले सकता था।

यही हाल वर्तमान में सरकारें करती हैं,हमे मुफ्त का लालच देती हैं किंतु आँखों की रोशनी ( अच्छी शिक्षा व रोजगार ) नहीं देतीं जिससे कि हम उनका भ्रष्टाचार  देख पाएं,उनकी फिजूलखर्जी और गुंडागर्दी देख पाएं,उनका शोषण और अन्याय देख पाएं।

और हम अंधे की तरह उनका गुणगान करते हैं कि राजा मुफ्त में सबको सामान देते हैं।हम यह नहीं सोचते कि यदि हमें अच्छी शिक्षा और रोजगार
सरकारें दें तो हमें उनकी खैरात की जरूरत न होगी,हम स्वतः ही सब खरीद सकते हैं।

पर हम सभी अंधे जो ठहरे,केवल मुफ्त की चीजें ही हमे दिखती हैं।

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