बुत बने बैठे हैं कुछ बात बनाते भी नहीं,
और ये ग़ुस्सा के मैं रूठूँ तो मनाते भी नहीं...
बड़ी मुश्किल से कल रात मैने सुलाया खुद को,
इन आंखो को तेरे ख्वाब का लालच दे कर |||
इस सादगी पै कौन न मर जाये ऐ खुदा //
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
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