👉एक बार एक संत ने अपने दो
भक्तों को बुलाया और कहा आप
को यहाँ से पचास कोस जाना है।
👉एक भक्त को एक बोरी खाने के
समान से भर कर दी और कहा जो
लायक मिले उसे देते जाना
👉और एक को ख़ाली बोरी दी उससे
कहा रास्ते मे जो उसे अच्छा मिले
उसे बोरी मे भर कर ले जाए।
👉दोनो निकल पड़े जिसके कंधे पर
समान था वो धीरे चल पा रहा था
👉ख़ाली बोरी वाला भक्त आराम से
जा रहा था
👉थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईंट
मिली उसने उसे बोरी मे डाल
लिया
👉थोड़ी दूर चला फिर ईंट मिली उसे
भी उठा लिया
👉जैसे जैसे चलता गया उसे सोना
मिलता गया और वो बोरी मे भरता
हुआ चल रहा था
👉और बोरी का वज़न। बड़ता गया
उसका चलना मुश्किल होता गया
और साँस भी चढ़ने लग गई
👉एक एक क़दम मुश्किल होता
गया ।
👉दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया
रास्ते मै जो भी मिलता उसको
बोरी मे से खाने का कुछ समान
देता गया धीरे धीरे बोरी का वज़न
कम होता गया
👉और उसका चलना आसान होता
गया।
👉जो बाँटता गया उसका मंज़िल
तक पहुँचना आसान होता गया
👉जो ईकठा करता रहा वो रास्ते मे
ही दम तोड़ गया
👉दिल से सोचना हमने जीवन मे
क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया
हम मंज़िल तक कैसे पहुँच पाएँगे।
👉जिन्दगी का कडवा सच...👈
👉आप को 60 साल की उम्र के बाद
कोई यह नहीं पूछेंगा कि आप का
बैंक बैलेन्स कितना है या आप के
पास कितनी गाड़ियाँ हैं....?
👉दो ही प्रश्न पूछे जाएंगे ...👈
1-आप का स्वास्थ्य कैसा है.....?
और
2-आप के बच्चे क्या करते हैं....?
No comments:
Post a Comment