"यदि आप सात बार गिरते हैं, तो आठ बार खड़ें हों!"
खंडरों में पत्थरों की नमी सा तेरा नाम ..
आसमान में ठहरी ज़मीं सा तेरा नाम..
बिखरने दो होठों पर हँसी की फुहारों को,
प्यार से बात कर लेने से कोई दौलत कम नहीं होती !!!
मुझे सिर्फ़ तुझ पर ऐतबार रहा मालिक़,
तक़दीर के भरोसे वक़्त को बदलते हुए नहीं देख़ा मैनें!
कोई कैसा भी रिश्ता हो नमी बेहद ज़रूरी है
ज़मीं सूखी रहेगी तब तो पौधा सूख जाता है!
वो हमारा है ,हमारे नाम से मंसूब है
उसके बारे में ये खुशफहमी है लेकिन खूब है
ये रात तुम्हारी है चमकते रहो तारो
वो आएँ न आएँ मगर उम्मीद न हारो
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