Saturday, 21 January 2017

बुरी नज़र से न मुझे देख:

*"जिसके लिये पूरी दुनिया कम पड़ती थी उसके लिये एक समाधि भी अब पर्याप्त है।"*
*:सिकन्दर महान के लिए समाधिलेख*

"हम को पाला था जिस पेड़ ने उसके पत्ते ही दुश्मन हुए,
कह रही है डालियाँ, आशियां बदल दीजिए!!"

जो हसंता है वो खुदा की इबबादत करता है,
जो दूसरों को हँसाते है, खुदा उनकी इबबादत करता हैं।

तेरी मोहब्बत की तलब थी इस लिए हाथ फैला दिए
वरना हमने तो कभी अपनी ज़िंदगी की दुआ भी नही माँगी।

प्यार इतना ही रखो की दिल सम्भल जाये..
अब इस कदर भी ना चाहो की दम निकल जाये..

बुरी नजर से ना देख मुझे यूँ देखने वाले...!!
मैं लाख बुरा सही तू अपना नजरिया खऱाब न कर...!!

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