रोक सकते थे तुम
मगर , तुमने मुझे जाने दिया
तुम्हे तुम्हारा अहं प्यारा था
मै नही......!
काँच की चूड़ियाँ लेकर जब तक लौटा मैं..
उसके हाथ में सोने के कँगन थे..!!
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ना हाथ थाम सके ना पकड़ सके दामन,
बड़े करीब से उठ कर चला गया कोई..!
~ मीना कुमारी
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बादलों की ओट से सूरज निकलने वाला है
सफर जारी रखो, वक्त बदलने वाला है।
- यशवर्धन जैन
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