Tuesday 3 August 2021

वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैं मगर बात करने को जी चाहता है ~ शकील बदायुनी

रोक सकते थे तुम
मगर , तुमने मुझे जाने दिया
तुम्हे तुम्हारा अहं प्यारा था
मै नही......!

काँच की चूड़ियाँ लेकर जब तक लौटा मैं..
उसके हाथ में सोने के कँगन थे..!!

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ना हाथ थाम सके ना पकड़ सके दामन,
बड़े करीब से उठ कर चला गया कोई..!
~ मीना कुमारी

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बादलों की ओट से सूरज निकलने वाला है
सफर जारी रखो, वक्त बदलने वाला है।
- यशवर्धन जैन


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