[8/8, 8:16 AM] Bansi Lal: जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में कह नहीं सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।
[8/8, 8:18 AM] Bansi Lal: उस क्षण केवल मौन था हमारे बीच..
क्षणिक सुख और अथाह दु:ख मिश्रित मौन..
अविश्वसनीय आश्चर्य मिश्रित मौन...
अपूरित अपेक्षाओं और ज्ञात परिणाम मिश्रित मौन...
[8/9, 6:02 AM] Bansi Lal: पहले खुशबु के मिज़ाजों को समझ लो !!
फिर गुलिस्तां मे किसी गुल से मोहबत करना !!
[8/10, 7:49 AM] Bansi Lal: दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है,
जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे...
[8/10, 7:52 AM] Bansi Lal: हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
[8/10, 7:55 AM] Bansi Lal: सबसे बड़ी मूर्खता है - इस विश्वास से लबालब भरे रहना कि लोग हमें वोही मान रहे हैं, जो हम उन्हें मनवाना चाहते हैं !
[8/10, 7:59 AM] Bansi Lal: किरदार को अपने यूं न बयां करो खुल कर
ये शरीफों का शहर है अदाकारी जरूरी है
[8/10, 8:05 AM] Bansi Lal: नाराजग़ी है तो ज़रा हक़ से जताइए
यूं फेर कर नज़रें !
ग़ैर क्यों करते हैं ?
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