Saturday, 15 August 2020

ज़िन्दग़ी के अंजुमन का बस यही दस्तूर है,

[7/2, 8:26 AM] Bansi Lal: ज़िन्दग़ी के अंजुमन का बस यही दस्तूर है,

बढ़ के मिलिये और मिल कर दूर होते जाइये..!!
[7/2, 8:29 AM] Bansi Lal: तेरी आह, किस से ख़बर पाइए 

वही बेख़बर है जो आगाह है
[7/3, 7:03 AM] Bansi Lal: जिन्हें पता है कि अकेलापन क्या होता है..

वो लोग दूसरों के लिए हमेशा हाजिर रहते हैं..
[7/3, 7:45 AM] Bansi Lal: रफ़्तार कुछ जिंदगी की यू बनाये रखो यारों,

कि दुश्मन कोई आगे ना निकले और दोस्त कोई पीछे ना छुटे..
[7/3, 7:46 AM] Bansi Lal: इश्क़ की आख़री हदों में हूं साहब..!

राख़ हूं .....अब और नही जल सकती..!!
[7/3, 8:21 AM] Bansi Lal: नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है

ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे

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