Saturday, 15 August 2020

सफ़र में अब के अजब तजरबा निकल आया

[8/11, 7:49 AM] Bansi Lal: भाषाओं का अनुवाद हो सकता है...
भावनाओं का नहीं...

इन्हें समझना पड़ता है...
[8/11, 8:00 AM] Bansi Lal: सफ़र में अब के अजब तजरबा निकल आया

भटक गया तो नया रास्ता निकल आया
[8/11, 8:09 AM] Bansi Lal: " What we see when watching others depends on the purity of the window through which we look."
[8/11, 5:07 PM] Bansi Lal: बात करने से ही बात बनती है
बात न करने से,बातें ही बनती है
[8/12, 7:27 AM] Bansi Lal: ऐ हवा उस से ये कहना कि सलामत है अभी,

तेरे  फूलों  को  किताबों  में  छुपाने  वाला !!
[8/12, 7:29 AM] Bansi Lal: ‏جس جگہ ہم نے کیلنڈر میں جدائی لکھی 
اک ملاقات کی تاریخ وہاں باقی ہے 
شکیل اعظمی 

जिस जगह हमने कैलेन्डर में जुदाई लिक्खी 

इक  मुलाकात  की  तारीख  वहां  बाक़ी  है अभी
[8/12, 7:35 AM] Bansi Lal: ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन 
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो

- राहत इंदौरी 
#RIP Rahat Sahib greatest shayar of urdu in our time. Great and different styles of recitation
Koe jabab nahi tha Rahat Sahib. Miss u may the soul rest in peace.
[8/12, 7:37 AM] Bansi Lal: हर किसी से तो निभाना मुश्किल था 

ख़ुद को इतना भी गिराना मुश्किल था
[8/12, 7:38 AM] Bansi Lal: Respect is for those who deserve it, not for those who demand it.
[8/12, 7:38 AM] Bansi Lal: दो गज़ सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है

ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया

#RahatIndori
[8/12, 7:40 AM] Bansi Lal: आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में 

कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो

~ राहत इंदौरी
[8/12, 7:41 AM] Bansi Lal: “अधिक हर्ष और उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है।”
[8/12, 7:42 AM] Bansi Lal: एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो

दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
[8/13, 7:50 AM] Bansi Lal: "Rejection is not a reflection of you but a reflection of what does not belong to you."

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