यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है
कई झूटे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है ....
🍃🌹🍃
जरूरत हो तभी जलाओ अपने आप को,
उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती!
🌹🍃🌹
रफ़्ता रफ़्ता ख़त्म क़िस्सा हो गया होना ही था
वो भी आख़िर मेरे जैसा हो गया होना ही था
🥀🍂🥀
आसमान इतनी बुलंदी पे जो इतराता है,
भूल जाता है ज़मीन से ही नज़र आता है
🍃🥀🍃
जो उन पे गुज़रती है किस ने उसे जाना है
अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है
🥀🍃🥀
तेज़ इतना ही अगर चलना है तन्हा जाओ तुम
बात पूरी भी न होगी और घर आ जाएगा
🍂🥀🍂
रास्ता तेरे साथ इक बार क्या भटके हम
मंजिलों की ख्वाहिश ही ना रही
पा लिया तुम में खोकर इतना के
अब कुछ पाने की फरमाइश ही ना रही.
🌹💓🌹
ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है
कितना झुक कर किसे सलाम करो
🥀🍃🥀
No comments:
Post a Comment