Monday, 12 March 2018

तूफान:

बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी

डूबने वाले तेरे हाथ से साहिल तो गया
🍂🍃🍂
दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में

जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं

🍂🍃🍂
ग़लतफ़हमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में 

जहां किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है
🍂🍃🍂
दुश्मनी नींद से कर के हूँ पशेमानी में

किस तरह अब मेरे ख्वाबों का गुजारा होगा
🍂🍃🍂
ज़ख़्म अपनों ने दिए कुछ इस कदर

ग़ैर भी मरहम लगाने आ गए
🍂🍃🍂
किताब-ए-दर्द का सूखा गुलाब, नहीं होना मुझको

इश्क़ में, इस कदर भी कामयाब, नहीं होना मुझको
🍂🍃🍂
मुझ को बीमार करेगी, तेरी आदत इक दिन

और फिर तुझ से भी अच्छा नहीं हो पाऊँगा
🌹🍃🌹
रौशनी ढूँड के लाना कोई मुश्किल तो न था

लेकिन इस दौड़ में हर शख़्स को जलते देखा
🌹🍃🌹
जा के कोहसार* से सर मारो कि आवाज़ तो हो,

खस्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते...

*पहाड़
🍃🍂🍃

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