सफ़र में अचानक सभी रुक गए
अजब मोड़ अपनी कहानी में था
🌹🍃🌹
चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात है
🌹🍃🌹
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
🌹🍃🌹
कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत जिन्हों ने की
मुझ को तो वो भी याद हैं नफ़रत जिन्हों ने की
🌹🍃🌹
सफ़र में अचानक सभी रुक गए
अजब मोड़ अपनी कहानी में था
🌹🍃🌹
No comments:
Post a Comment