इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के
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ये अंजुमन, ये क़हक़हे, ये महवशों की भीड़
फिर भी उदास फिर भी अकेली है ज़िंदगी
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वो जहर देता तो सबकी नज़र में आ जाता,.,
फिर यूँ किया उसने कि वक्त पर दवा न दी,.,!!!
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वो जहर देता तो सबकी नज़र में आ जाता,.,
फिर यूँ किया उसने कि वक्त पर दवा न दी,.,!!!
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उसने पुछा,जिंदगी किसने बरबाद की हैं ?
हमने उंगली उठाई और अपने ही दिल पे रख दी l
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तुम्हरे लिए तो मैंने यहाँ तक दुआएं की हैं...
की तुम्हे कोई चाहे भी तो बस मेरी तरह चाहे
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तेरी मौजूदगी से लौट आती हैं चेहरे की रौनकें....
और लोग सोचते हैं...खूबसूरत हैं हम...!!
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मुझे महंगे तोहफ़े पसंद है,
अगली बार आओ तो वक़्त ले आना...!!
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" चलो हम भी कुछ क़समें , कुछ रस्में तोड़ देते हैं
वरना ज़िंदगी तो फ़कत , बोझ बनकर रह जाएगी "
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उठकर तो आ गये हैं तेरी बज़्म से मगर,
कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आये हैं
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ज़मीं पे चल न सका आसमान से भी गया
कटा के पर को परिंदा उड़ान से भी गया
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