दर्द इतना भी नहीं है कि छुपा भी न सकूँ
बोझ ऐसा भी नहीं है कि उठा भी न सकूँ
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रात-दिन गर्दिश में हैं सात आस्मां
हो रहेगा कुछ-न-कुछ घबरायें क्या
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बड़े सपनों की शुरुआत छोटी होती है।
आपको केवल उनकी तरफ़ बढ़ना है।
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तेरी तलब में जला डाले आशियाने तक,
कहाँ रहूँ मैं तेरे दिल में घर बनाने तक...
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तू नई सुबह के सूरज की है उजली सी किरन
मैं हूँ इक धूल भरी शाम मेरे साथ न चल
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सफ़र में अचानक सभी रुक गए
अजब मोड़ अपनी कहानी में था
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