Saturday, 23 July 2016

सन्तोष की पराकाष्ठा:

बात अकलमंदी की
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किसी मित्र से पैसा उधार मांगने से पहले यह निर्णय कर लीजिये कि
आपको मित्र कि अधिक आवश्यकता है या पैसे की.

संतोष की पराकाष्ठा
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शेख सादी जब नब्बे बरस के हुए,तो अरब के एक सुल्तान नें उनके पास एक बेशकीमती हीरा भेजा और लिखा,'सारी ज़िन्दगी आपने कविताएँ लिखने में ही गँवा दी है अगर इस हीरे के जोड़ की कोई कविता आपके पास हो तो भेज दें.'
सादी नें पत्र पढ़ा और हीरे को देखा.वे सुल्तान की इस हरकत से चकित हुए फिर जवाब लिखा,'आप कविता की बातें करते हैं लेकिन आपको शायद मालूम नहीं कि मेरी शायरी का एक-एक शब्द आपके इस हीरे से कहीं अधिक कीमती है.'
मेरे शब्द दो बिछुड़े हुए दिलों का स्नेह सेतु बनने कि क्षमता रखते हैं,जबकि आपका हीरा दो इंसानों के बीच खून-खराबे का जरिया ही बनता है.मेरे शब्द ईस्वर के सिंहासन को पिघलाने की क्षमता रखते हैं,जबकि आपका हीरा इंसान की भूख मिटाने में एक चने की भी बराबरी नहीं करता,उलटे उसका काल बन सकता है.आपका हीरा आपको मुबारक हो,मुझे इसकी कोई आवश्यकता नहीं है.

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