Friday, 22 July 2016

थक गया मै यद् करते:

"थक गया मैं करते करते याद तुझ को
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ":
क़तील शिफ़ाई

ना ढूंढ मेरा किरदार दुनियाँ की भीड़ में...
वफादार तो हमेशा तन्हां ही मिलते है ।

मदहोश होता हूँ तो दुनियाँ को बुरा लगता हूँ,
होश रहता है तो दुनियाँ मुझको बुरी लगती है...

तोबा क्यों करते हो तुम इश्क से,
महबूब तुम्हारा बेवफा हो तो इश्क का क्या कसूर.

अपना ही अक्स नज़र आती है अक्सर मुझको
वो हर इक चीज जो मिट्टी की बनी होती है

मुमकिन है तेरे बाद भी आती होंगी बहारें,
गुलशन में तेरे बाद कभी जा कर देखा नहीं

जहिलों में नहीं मिले इतने...
जितने जहिल पढ़े-लिखों में मिले

छुप के आई हज़ार परदों में,
आरज़ू फिर भी बेलिबास रही..

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