एक बार एक बूढ़े व्यक्ति के अंगूठे में चोट लग गई तो वे चोट को ठीक कराने अस्पताल पहुंचे । लेकिन डॉक्टर के वहाँ बहुत भीड़ लगी थी । वे भीड़ को चीरते हुए डॉक्टर के पास पहुंचे और उनसे निवेदन करते हुए बोले- मैं बड़ी जल्दी में हूँ, आप पहले मुझे देख ले । वे बार-बार घड़ी को देख रहे थे ।
सर ! आप इतनी जल्दी में क्यों हो, क्या आपका किसी अन्य डॉक्टर से अपॉइटमेंट है ? डॉक्टर ने पूछा । बूढ़े व्यक्ति ने बताया की कुछ दूर नर्सिंग रूम में बहुत दिनों से उनकी पत्नी भर्ती है । वे रोज उनके साथ नाश्ता करते है ।
डॉक्टर मुस्कराते हुए बोले - ओह ! ये बात है ! इसीलिए आप जल्दी कर रहे हो, क्योंकि देर से पहुंचने पर आपकी पत्नी आपसे नाराज हो जाएगी ।
तब बूढ़ा व्यक्ति बोला - नही ! ऐसा नही है, मेरी पत्नी अल्जाइमर की मरीज है और वह किसी को नहीं पहचानती और पिछले पांच सालो से तो वह मुझे भी नहीं पहचानती ।
तब डॉक्टर बोला - फिर भी आप रोज उनके साथ नाश्ता करने जाते है, ये जानते हुए भी की वो आपको पहचानती तक नहीं ।
बुजुर्ग व्यक्ति मुस्कराया और डॉक्टर से बोला - वह मुझे नहीं पहचानती तो क्या हुआ, परंतु मै तो यह जानता हूँ न की वह कौन है ?
प्रिय दोस्तों, हमें इस कहानी से ये जरूर सीखना चाहिए की कई बार हमारे जीवन में भी ऐसे कई मौके आते है जहाँ पर हमारी मानवता का इम्तिहान होता है। इसलिए हमे बिना स्वार्थ के अपने दायित्वों को निभाना चाहिए, ये मानवता के लिए बहुत जरुरी है।
Tuesday, 19 July 2016
मानवता ज़रूरी है:
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