"कस्ती तूफानो से निकल सकती है,
तकदीर किसी भी वक्त बदल सकती है
हौसला रखो, इरादा न बदलो,
जिसे दिल से चाहते हो वो चीज कभी भी मिल सकती है.."
सागर मीना जाम सुराही साकी दे मैखाने दे
मौला तूने प्यास ये दी है अब तू ही पैमाने दे ..
ख़ूब है शौक़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से।
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए।
मैंने मांगी थी उजाले की फ़क़त एक किरन फ़राज़,
तुमसे ये किसने कहा के आग लगा दी जाये...
बस यूँ ही चल पड़ते हैं अनजान राहों में अनदेखी मंज़िल की ओर
वैसे भी जानी पहचानी राहें भी तो कभी कभी अनजान निकलती हैं
No comments:
Post a Comment