Tuesday, 16 February 2016

सवाल जवाव सीधे उलझे:

सीधे से सवाल मेरे...
उलझे से जवाब तेरे...

कमाल का जिगर रखते है यहाँ कुछ लोग ,
दर्द  पढ़ते है और, आह तक नहीं करते…?

तारीफ किसी की करने के लिए जिगर चाहिये..
बुराई तो बिना हुनर के किसी की भी कर सकते हैं...!!

मसरूफ़" रहने का अंदाज़ ,
तुम्हें तनहा ना कर दे ...

"रिश्ते" फ़ुर्सत के नहीं ,
'तवज्जो' के मोहताज होते है...

"वक्त" जब भी शिकार करता है....
हर "दिशा" से वार करता है....

शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है वो मजदूर, जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है....

खुदा के पास तो देने को हजार तरीके हैं,

माँगने वाले तू देख तुझमें कितने सलीके हैं..

मैं ने भी देखने की हद कर दी

और
वो भी तस्वीर से निकल आया

तकलीफों ने ऐसा सँवारा है मुझको..

हर गम के बाद शायरी निखर जाती है..!

हर वक़्त ज़िन्दगी से गिले शिक़वे ठीक नहीं,

कभी तो छोड़ दीजिये कश्तियों को लहरों के सहारे।

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