बन्सी: अक्लवालों के मुक़द्दर में ये जोक-ए-जूनून कहाँ,
ये इश्कवाले हैं जो हर चीज़ लुटा देते हैं
बन्सी: हमारी नित्य की दिनचर्या में हम ये भूल जाते हैं कि हमारा जीवन तो एक अविरत अद्वित्व अद्भुत अनुभव है।
बन्सी: जीतने का मजा तब आता है, .
जब सारे आपके हारने का इन्तजार कर रहे हो......॥
बन्सी: "आग लगाने कोई आया है नशेमन मे सोचता हूँ,
उन तिनकों का क्या होगा जिनसे वाबस्ता थे चमन कई"
बन्सी: ये और बात कि आँधी हमारे बस में नहीं
मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है
बन्सी: सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊँगा
बन्सी: अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझसे हैं उम्मीदें
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ
बन्सी: उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
बन्सी: रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
बन्सी: खुशी की आँख में आंसू की भी जगह रखना
बुरे ज़माने कभी पूछ कर नहीं आते
बन्सी: कुछ इस तरह शरीक तेरी अंजुमन में हूँ
महसूस हो रही है ख़ुद अपनी कमी मुझे
बन्सी: अब ये न पूछना की ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ|
बन्सी: वो मेरे पास से गुजरा , न दिल धड़का न लब लरजे,
क़यामत है ख़ामोशी से क़यामत का गुजर जाना...