मैं जिसके हाथ मैं इक फूल दे के आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है ।।
“नफ़रत करने वाले भी
कमाल का हुनर रखते हैं,
देखना भी नहीं चाहते
और नज़र भी
हर वक्त रखते हैं”
जवानी का लहू ही ऐसा होता है,
आप पटकी खाए बिना मानता कौन है.!
थोड़ी सी रोशनी मांगी थी जिंदगी में
चाहनेवालो ने आग ही लगा दी....
अस्तित्व ने आनंद दिया है..
दुःख तो......
हमारी खोज है..
*जिसे गुण की पहचान नही उसकी प्रशंसा से डरो*
*जिसे गुण की पहचान है उसके मौन से डरो..*
*:बन्सी*
जिन्हें मंज़िल हुई है मुफ़्त हासिल
वो रस्तों की कहानी लिख रहें हैं
जिसकी जड़ों के पास की मिट्टी न सख़्त हो,
ऐसे शजर पे भरोसा न कीजिये...
कह देना समुंदर से हम ओंस के मोती हैं
दरिया की तरह तुझ से मिलने नहीं आएँगे!!
सबसे बेहतरीन
नज़र वो है
जो अपनी कमियों
को देख सके..
:बन्सी
*Forgiving people in silence and never speaking to them again is a form of self care.*
*:Bansi*
ख़ौफ़ नाकामियों का इतना सता रहा है !!
वो सेंघ अपने ही घर में लगा रहा है !!
जो मिलकर भी मिलते नहीं
वो मुकम्मल बिछड़ते भी नहीं..!!
अकेले फूल को
कई काँटों से इर्ष्या करने की ज़रुरत नहीं होती।
संपन्नता मन की अच्छी होती हैं, धन की नहीं
धन की संपन्नता
अहंकार देती हैं,
मन की संपन्नता संस्कार
अहंकार दूसरों को
झुकाने में आनंदित होता हैं,
संस्कार खुद झुकने में आनंदित होता हैं..
No comments:
Post a Comment