Friday 16 July 2021

नहीं खाई ठोकरें सफर में, तो मंजिल की अहमियत कैसे जानोगे,अगर नही टकराए गलत से तो, सहीकैसे पहचानोगे...

अकेले फूल को 

कई काँटों से इर्ष्या करने की ज़रुरत नहीं होती।
संपन्नता मन की अच्छी होती हैं, धन की नहीं

धन की संपन्नता 
अहंकार देती हैं,
मन की संपन्नता संस्कार

अहंकार दूसरों को 
झुकाने में आनंदित होता हैं,

संस्कार खुद झुकने में आनंदित होता हैं..

रामायण में दो व्यक्ति थे:
विभीषण और कैकेयी,
विभीषण रावण राज में रहता था,
फिर भी नही बिगड़ा......
कैकेयी राम राज्य में रहती थी 
फिर भी नहीं सुधरी...
सुधरना और बिगड़ना केवल मनुष्य की सोच और स्वभाव पर निर्भर करता है.....स्थान पर नहीं!

सबसे बेहतरीन 
नज़र वो है 

जो अपनी कमियों 
को देख सके..
:बन्सी

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