शिक्षित व्यक्ति भाग्य का अस्तित्व स्वीकार नहीं कर सकता।
रबींद्रनाथ टैगोरजिदंगी के हर इम्तिहान से
गुज़र जाती हूँ
परन्तु आपकी याद
आँखे नम कर जाती है ..!
मैं जनता हूँ के मुझमें, बहुत सी कमियां हैं
अगर हैं आप मुकम्मल, तो छोड़ दें मुझको...
हर कोई चन्दन नहींं..
कि सुगन्धित कर सके.....
कुछ नीम के पेड़ भी है..
जो...सुगन्धिंत तो नही करते..
पर काम बहुत आते हैं.....!!
"आत्मसम्मान" बेचकर "इज्जत" कमाना,
हर रोज "मरने" के समान है...।
पता नहीं था हमें, इतना ज़हर है उसमें
हम उसकी शहद सी बातों में खोए खोए थे
"Be careful what you tolerate. You are teaching people how to treat you."
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