वो चाहता है कि दरिया सूख जाए
वो रेत का व्यापार करना चाहता है
मैं जानता था के अब रेल मुड़ नहीं सकती
जो हाथ एक दफा छूट गया .. बस वो छूट गया ,
व्यक्ति अगर छांव देने वाले वृक्षों की क़दर ना करे तो धूप उसका नसीब बन जाती है
आज वो हमें बता रहे हैं
कि नजर अंदाज कैसे करते हैं
एक दिन हम उन्हें बताएंगे की अफसोस किसे कहते है..!!
No comments:
Post a Comment