Monday, 10 February 2020

किसी को कैसे बताएँ ज़रूरतें अपनी


किसी को कैसे बताएँ ज़रूरतें अपनी

मदद मिले न मिले आबरू तो जाती है


उस कोरे कागज में इतने जज्बात थे

के हम कुछ लिखने से पहले ही रो पड़े


पत्थर सदैव हथौड़े की अंतिम चोट से टूटता है,

लेकिन इसका यह मतलब नहीं की पहले की सभी चोटें बेकार गईं....


"सफलता निरंतर प्रयासों का ही परिणाम है”

हाथ ठंड में और बुद्धि घमंड में

काम नहीं करते..


उम्मीद एक ऐसी "ऊर्जा" है
जिससे "जिंदगी" का कोई भी "अँधेरा" हिस्सा "रोशन" किया जा सकता है...


"हर थका चेहरा तुम ग़ौर से देखना

उसमें  गया कल और आनेवाला कल भी वहीं कहीं होगा..."
यूँ तो बड़े व्यस्त हो तुम ,

फिर मुझे भूलने की फुर्सत कैसे मिली...!!



मय में कोई ख़ामी है न साग़र में कोई खोट
पीना नहीं आए है तो    छलकाए चलो हो


क़ामयाब होने के लिए अपने मेहनत पर यक़ीन करना होगा,

क्योंकि किस्मत तो  जुएँ में आजमाई जाती है..


झूठ इसलिए बिक जाता है,
क्योंकि सच को ख़रीदने की,
सबकी औकात नहीं होती !!


“मैं ऊँचा होता चलता हूँ
उनके ओछेपन से गिर-गिर,
उनके छिछलेपन से ख़ुद-ख़ुद,
मैं गहरा होता चलता हूँ।”


बात ईतनी  मधुर रखें कि

वापस लेनी भी  पड़े तो , खुद को  कभी कड़वी  ना लगें ...


तेरे साथ जिंदगी
तेरे बाद का
न सोचा है न सोचना है....

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