Monday, 10 February 2020

परछाईयां हैं जाते-जाते जायेंगी ....

 परछाईयां हैं जाते-जाते जायेंगी ....


वो आराम से हैं जो, पत्थर के हैं..!
 मुसीबत तो, एहसास वालों की हैं..!!


अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हंसता है
मैं चाहता हूं ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे
- बशीर बद्र


पत्थर सा बदनाम हूँ साहब अपने शहर में
आईना कहीं भी टूटे नाम मेरा ही आता है।


आँसू जानते हैं कौन अपना है तभी अपनो के आगे निकलते हैं
मुस्कुराहट का क्या है ??? ग़ैरों से भी वफ़ा कर लेती है…!!


ख्वाहिश भले ही छोटी हो, मगर..
उसे पूरा करने की जिद बड़ी होनी चाहिए..


If nothing wrong is happening in your life, then you don’t have much going on in your life.

तुम तो यूँ हीं आसूँओं से परेशान हो
यक़ीन मानो,  मुस्कुराना और भी मुश्किल है...!!

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