वो बेहिसी थी लम्हा ए रुख़सत न पूछिये
उसको गले लगाये बिना लौट आये हम
ढूँढ सको तो मेरी खामोशी में भी वो लफ्ज़ है
"जिसे अक्सर तुम सुनने की जिद्द करते थें "
बेहिसी - insensitivity
अकड़
शब्द में कोई मात्रा नहीं है,
पर ये अलग अलग मात्रा में हर एक इन्सान में मौजूद है..
“एकांत की अपनी ज़िदें होती हैं।”
बातें बड़ी नही होती
आप
सोच कर उन्हें बड़ा बना देते हो..
तुम्हारे शहर के सारे दिए तो सो गए कब के,
हवा से पूछना दहलीज़ पे ये कौन जलता है
परिवार और समाज
दोनों ही बर्बाद होने लगते हैं
जब समझदार मौन
और
नासमझ बोलने लगते हैं.....!
"लहज़ा" शिकायत का था...
मगर,
सारी "महफिल" समझ गई..
मामला "मोहब्बत" का हैं...
तुम्हारा मिलना महज़ कोई इत्तिफ़ाक़ नहीं,
उम्र भर की इबादतों का मुआवज़ा हो तुम
लहरें देखती रहती हैं
दरिया देखने वालों को
उसको गले लगाये बिना लौट आये हम
ढूँढ सको तो मेरी खामोशी में भी वो लफ्ज़ है
"जिसे अक्सर तुम सुनने की जिद्द करते थें "
बेहिसी - insensitivity
अकड़
शब्द में कोई मात्रा नहीं है,
पर ये अलग अलग मात्रा में हर एक इन्सान में मौजूद है..
“एकांत की अपनी ज़िदें होती हैं।”
बातें बड़ी नही होती
आप
सोच कर उन्हें बड़ा बना देते हो..
तुम्हारे शहर के सारे दिए तो सो गए कब के,
हवा से पूछना दहलीज़ पे ये कौन जलता है
परिवार और समाज
दोनों ही बर्बाद होने लगते हैं
जब समझदार मौन
और
नासमझ बोलने लगते हैं.....!
"लहज़ा" शिकायत का था...
मगर,
सारी "महफिल" समझ गई..
मामला "मोहब्बत" का हैं...
तुम्हारा मिलना महज़ कोई इत्तिफ़ाक़ नहीं,
उम्र भर की इबादतों का मुआवज़ा हो तुम
लहरें देखती रहती हैं
दरिया देखने वालों को
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