फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!
अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!
अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
इक तेरे लम्स की ख़ुशबू को पकड़ने के लिए
तितलियाँ हाथ से हम छोड़ दिया करते थे
🍁🍃🍁
लम्स: छुवन( Touch)
हवा-ए-शब से कहो आए फिर बुझाने को..
चराग़ हम ने सर-ए-शाम फिर जलाया है !
🍃🍁🍃
ऊपर से ज़ख़्म-ए-हिज्र को तो हम ने भर दिया
अंदर से कैफ़ियत तो मगर मातमी रही
🍃🍁🍃
कैफ़ियत: स्थिति
कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी
तुझ से ही फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी
अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!
अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
इक तेरे लम्स की ख़ुशबू को पकड़ने के लिए
तितलियाँ हाथ से हम छोड़ दिया करते थे
🍁🍃🍁
लम्स: छुवन( Touch)
हवा-ए-शब से कहो आए फिर बुझाने को..
चराग़ हम ने सर-ए-शाम फिर जलाया है !
🍃🍁🍃
ऊपर से ज़ख़्म-ए-हिज्र को तो हम ने भर दिया
अंदर से कैफ़ियत तो मगर मातमी रही
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कैफ़ियत: स्थिति
कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी
तुझ से ही फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी
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