Wednesday, 9 May 2018

फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!

फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!

अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
 फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!

अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
 इक तेरे लम्स की ख़ुशबू को पकड़ने के लिए

तितलियाँ हाथ से हम छोड़ दिया करते थे
🍁🍃🍁
लम्स: छुवन( Touch)
 हवा-ए-शब से कहो आए फिर बुझाने को..

चराग़ हम ने सर-ए-शाम फिर जलाया है !
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ऊपर से ज़ख़्म-ए-हिज्र को तो हम ने भर दिया

अंदर से कैफ़ियत तो मगर मातमी रही
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 कैफ़ियत: स्थिति
कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी

तुझ से ही फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी

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