Friday, 16 June 2017

खामोशियाँ बाते हज़ार करती है:

बेशक-ख़ामोशियाँ...बातें हज़ार करती है..

मगर, लफ़्ज़ों में हुये इज़हार की बात ही कुछ और है
🌷🌹🌷
पानी से भरी आँखें ले कर वो मुझे घूरता ही रहा,

वो आइने में खड़ा शख़्स परेशान बहुत था...

🌷🌹🌷
एहसासों की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में,

रेत भी सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है।

🌹🌺🌹
हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम
जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी
🌷🌹🌺🌷🌹
बारूद के इक ढेर पे बैठी हुई दुनिया,

शोलों से हिफ़ाज़त का हुनर पूछ रही है.
🌺🌷🌺
कभी चाल,कभी मकसद,कभी मंसूबे यार होते है,

आज के दौर में वाह वाह के मतलब हज़ार होते है

🌺🌹🌺
हँसकर कबूल क्या
कर लीं सजाएँ मैंने,

ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया
हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का
🌹🌷🌹
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था

वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
🌷🌺🌷
शब्द मुफ्त में मिलते हैं

लेकिन उनके चयन पर"निर्भर"करता है,

कि उनकी कीमत "मिलेगी" या"चुकानी"पड़ेगी...!!!
🌹🌺🌹

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