Tuesday, 27 June 2017

निगाहें जमाल:

दिल की बिसात क्या थी, निगाह-ए-जमाल में

इक आईना था, टूट गया देख-भाल में
🌷
*छल में बेशक बल है, लेकिन....*

*माफ़ी मैं आज भी हल है....*
🌷🌹🌷
अपने मन में डूब कर पा जा सु्राग़-ए-ज़िन्दगी,

तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन

🌷🌹🌷
उम्र भर चलते रहे आँखों पे पट्टी बाँध कर

ज़िंदगी को ढूँडने में ज़िंदगी बर्बाद की
🌷🌹🌷
मेरी आँखों से जो गिरता है वो दरिया देखो,

मैं हर हाल में ख़ुश हूँ, मेरा नज़रिया देखो...!!
🌹🌷🌹
"अंधकार से भयभीत बालक को क्षमा करना आसान है; जीवन की वास्तविक त्रासदी तो तब है जब आदमी रोशनी से भयभीत हों।
🌷🌹🌷

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