Saturday, 10 June 2017

कलाकार:

*"कारीगर हूँ साहब 'अल्फ़ाज़ो' की मिट्टी से 'महफ़िलों' को सजाता हूँ.*

*कुछ को 'बेकार' ......कुछ को 'कलाकार' नज़र आता हूँ"*
🌹🌷🌹
*'खुदगर्ज की बस्ती में, एहसान भी एक गुनाह हैं,*

*जिसे तैरना सिखाओ, वही डुबाने को तैयार रहता हैं.*
🌷🌹🌷

No comments:

Post a Comment

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...