एक ज़रा सी भूल पे हम को इतना तू बदनाम न कर
हम ने अपने घाव छुपा कर तेरे काज सँवारे हैं
मिलते नहीं हैं अपनी कहानी में हम कहीं,
ग़ायब हुएँ हैं जब से तेरी दास्ताँ से हम...
सीख नही पा रहा हूँ मैं मीठे झूठ बोलने की कला...!!!
कड़वे सच ने हमसे न जाने कितने अजीज छीन लिए.
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