हर गुनाह कबूल है हमे,
बस सजा देने वाला 'बेगुनाह' हो..!
बेवक़्त, बेसबब, बेहिसाब मुस्करा लेते हैं ,
आधे दुश्मनों को तो, हम यूँ ही हरा लेते हैं ।
ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भी!
फर्क तो रंगों का है!
मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर;
और अनजाने रंगों से बने तो तकदीर!!..
जनाजा उठा है आज कसमों का मेरी
एक कन्धा तो तेरे वादों का भी बनता है....!!!
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