" जहाँ रौशनी की ज़रूरत हो चिराग वहीँ जलाया करो,
सूरज के सामने जलाकर उसकी औकात ना गिराया करो...!"
यहाँ जो जिसकी फितरत है नतीजे वो ही मिलते हैं
कभी तुमने सुना खंजर किसी के ज़ख्म सिलते हैं
ज़रा सी बात ये सियासत कब समझती है
कहीं नफरत की धरती पर अमन के फूल खिलते हैं
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