एक बार यशोदा माँ यमुना मे दीप दान कर रही थी, वो पत्ते मे दीप रखकर प्रवाह कर रही थी वो देख रही थी कोई दीप आगे नही जा रहा...
ध्यान से देखा तो कान्हा जी एक लकडी लेकर जल से सारे दीप बाहर निकाल रहे थे, तो माँ कहती है लला तू ये का कर रहो है... कान्हा कहते है.. माँ ये सब डूब रहे थे तो मै इन्हे बचा रहा हू।..
माँ ये सब सुनकर हँसने लगी और बोली लला
तू केको केको बचायेगा..
ये सुनकर कान्हा जी ने बहुत सुन्दर जवाब दिया...
माँ मै सब को ठेको थोडी न ले रखो है।
जो मेरी पहुँच मे आएंगे उनको बचाऊंगा...
इसलिये हमेशा भगवान के सम्पर्क मे रहे।।।।।
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