Wednesday, 1 June 2016

न जाहिर हुई तुमसे, न बयां हुई हमसे:

"ना ज़ाहिर हुई तुमसे; ना बयाँ हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखों में; उलझी रही मुहब्बत."

क्यों रोता है उसके जाने से तू क्या तलाश करता है?
जुगनू का इंतज़ार कोई भला चिराग जला के करता है?

बिखर जाने की ख्वाइश तो थी हमारी उस फूल पर...
जो उगता तो था मंदिर ही के पास, पर चढ़ावे के वो काबिल न था!

ठहरे हुए पानी सी थी ठहरी ये ज़िन्दगी, पत्थर उछाल कर कोई हलचल सी कर गया |

"Your future is created by what you do today, not tomorrow" - Robert Kiyosaki

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