Bansi: '
गिला..जब भी किसी से किया जाये,
🌁🌁🌁🌁🌁🌁🌁🌁🌁
बेहतर होगा उस वक़्त थोड़ा सा हँस दिया जाये'
Bansi:
जिन्दगी धुएँ की मानिंद उड़ती रही...
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कभी खुद पे, कभी मुझ पे हँसती रही...
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हल्की-फुल्की
सी है जिंदगी...
वज़न तो
ख्वाहिशों का ही है...!
🍃🍁🌹🍃🍁🍃
Bansi:
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ज़िदगी जीना तुमने सिखाया
वरना हम तो मिटटी के पुतले थे"
Bansi:
मेरी आवारगी में कुछ दख़ल तुम्हारा भी है
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Bansi:
काँच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी !!
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किसी ने समेटा ही नहीं ...
ज़ख़्मी होने के डर से...!!
Bansi:
ये जो रिश्वतों का दौर चल रहा है जहां में..
तुम भी कुछ ले - देके मेरे क्यों नही हो जाते..!
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Bansi:
चलो बिखरने देते हैं जिन्दगी को....
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
सँभालने की भी तो एक हद होती है....
Bansi:
हज़ारो दर्द को सहकर भी कैसे मुस्कुरा जाती है
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"माँ" ही है जो फरिश्तों को भी फरिश्तों सी नज़र आती है
Bansi:
जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाय…
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शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं…
कि मर मर कर जिया जाए…!!
Bansi:
उनके भी कत्ल का इलज़ाम हमारे सर है,
जो हमे ज़हर पिलाते हुए मर जाते हैं
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