Tuesday, 22 December 2015

तकदीर से आगे न निकल सका:

Bansi:
चलकर देखा है मैने अपनी चाल से तेज .
🌿💐🌿💐🌿💐🌿💐🌿💐
फिर भी वक्त और तकदीर से आगे न निकल सका..!

Bansi:
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,
💦💧💦💧💦💧💦💧💦
जब बरसी ख़ुशियाँ ...
☔☔☔☔☔
न जाने भीड़ कहां से आई..

Bansi:
कही पर गम,तो कही पर सरगम,
ये सारे कुदरत के नज़ारे हैं...
🍂🍁🍂🍁🍂🍁🍂🍁
प्यासे तो वो भी रह जाते हैं,
जिनके घर दरिया किनारे हैं...!

Bansi:
"जिस गली में खाई ठोकर, उसी डगर से फिर गुजरा हूँ!
🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃
कई बार किए हैं वादें खुद से, कई बार मैं खुद से मुकरा हूँ!!"

Bansi:
अजीब दस्तूर है जिन्दगी का....
रुठता कोई है और टूटता कोई है....

Bansi:
कोई मुझ से पूछ बैठा "बदलना" किसे कहते हैं,
🌾🌸🌾🌸🌾🌸🌾🌸🌾🌸
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ "मौसम" की या "अपनों" की..

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