Bansi:
जहां हो जैसे हो, वहीं वैसे ही रहना तुम,
तुम्हें पाना जरुरी नहीं, तुम्हारा होना ही काफी है !
Bansi:
पलके भी चमक उठती हैं सोते में हमारी
आंखों को अभी ख़्वाब छुपाने नहीं आते
#बशीर_बद्र
Bansi:
दर्द तो मौजूद है दिल में दवा हो या न हो
बंदगी हालत से ज़ाहिर है ख़ुदा हो या न हो
Bansi:
कब से खड़े हुए हैं उसी रहगुजर पे हम,
जहाँ कह के गए थे तुम..'यहीं रुकना अभी आते हैं'
Bansi:
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है
ज़ख़्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
Bansi:
ज़िंदगी यूँही बहुत कम है मोहब्बत के लिए
रूठ कर वक़्त गँवाने की ज़रूरत क्या है
Bansi:
पहले इसमें इक अदा थी , नाज़ था ,अंदाज़ था
रूठना अब तो तेरी आदत में शामिल हो गया
Bansi:
गैर को दर्द सुनाने की ज़रूरत क्या है?
अपने झगडे में ज़माने की ज़रूरत क्या है?
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