Saturday, 26 December 2015

धुआं धुआं जला था दिल:

Bansi:

Be ready when opportunity comes......Luck is the time when preparation and opportunity meet.
🍁🍂🍂🍁🍂🍁🍂🍁🍂🍁

Bansi:

धुआँ धुआँ जला था दिल
धीमे धीमे गुबार उठा,

राख के उस ढेर में
झुलसा हुआ एक ख्वाब मिला।

Bansi:

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
~ मिर्ज़ा ग़ालिब

Bansi:

जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दुंगा ,पहले उसे तो मना लू जिसकी वजह से तू उलझी है...

Bansi:

मेरे और ऊस चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है दोस्त,

वो तारों में तन्हा मैं यारों में तन्हा..

Bansi:

शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए

Bansi:

तुझ से पहले जो इक शख़्स यहाँ तख़त नशीन था
उसको भी अपने ख़ुदा होने का इतना ही यक़ीन था -हबीब जालिब

Bansi:

कितनी ही उधारीयाँ
रख छोड़ी हैं ज़िंदगी पर

सोचता हूँ; वसूल कर लूँ अभी
या फिर नुकसान ही हो जाने दूँ थोड़ा

Bansi:

जहाँ जहाँ कोई ठोकर करे मेरी किस्मत में
वहीं वहीं लिए फिरती है ज़िन्दगी मुझ को

Bansi:

जिन्हें सलीका है तहज़ीब-ए-ग़म समझने का
उन्हीं के रोने में आँसू नज़र नहीं आते

Bansi:

इस दौरे-मुन्सिफ़ी में ज़रूरी नहीं वसीम
जिस शख्स की ख़ता हो उसी को सज़ा मिले

Bansi:

ये हाथ छोड़ने से पेशतर ख़्याल रहे
ख़ुदा के बाद फ़क़त आप का सहारा है

Bansi:

अपने हर इक लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा..
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा..!

Bansi:

शराफतों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं...
किसी का कुछ न बिगाड़ो, तो कौन डरता है..

Bansi:

इन्हें तो ख़ाक में मिलना ही था, कि मेरे थे..
ये अश्क कौन से ऊँचे घराने वाले थे...!

Bansi:

मेरे टूटने का जिम्मेदार मेरा जौहरी ही है,

उसी की ये जिद थी अभी और तराशा जाय....

Bansi:

मुझे तो क़तरा ही होना बहुत सताता है
इसी लिए तो समुंदर पे रहम आता है
:वसीम बरेलवी

Bansi:

मौत के बाद भी तो चलता है
ज़िंदगी तेरे जब्र का नाटक

Bansi:

महोब्बत के ये आँसू है इन्हें अखियों मे रहेने दो_
शरीफ़ों के घर का मस्ला बाहर नही जाता_

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