Wednesday, 31 March 2021

आख़िर तो डूबना ही था काग़ज़ की नाव को

[7:57 am, 29/03/2021] Bansi Lal: ग़ज़ल


आख़िर तो डूबना ही था काग़ज़ की नाव को


इल्ज़ाम देते रहिए नदी के बहाव को

[7:59 am, 29/03/2021] Bansi Lal: Your gratitude is magnetic, and the more gratitude you have, the more abundance you magnetize.

[7:59 am, 29/03/2021] Bansi Lal: " ऐसा लगता है हर इम्तिहाँ के लिए


  किसीने ज़िन्दगी को हमारा पता बता दिया है "

[8:01 am, 29/03/2021] Bansi Lal: अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रखा है,


मगर चराग़ ने लौ को सम्भाल रखा है

[6:41 pm, 29/03/2021] Bansi Lal: अपनी विशेषताओं का 

प्रयोग करो,


जीवन के हर कदम में 

प्रगति का अनुभव होगा..

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