[10/02, 5:56 am] Bansi Lal: ख़ामोश निगाहों ने बहुत दूर तलक जब
देखा तो हर इक शै में मुझे तुम नज़र आए
[10/02, 6:00 am] Bansi Lal: अब समझ लेते हैं मीठे लफ़्ज़ की कड़वाहटें
हो गया है ज़िंदगी का तजरबा थोड़ा बहुत
[10/02, 6:01 am] Bansi Lal: "Have the maturity to know sometimes silence is more powerful than having the last word."
[10/02, 6:02 am] Bansi Lal: गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
[10/02, 6:02 am] Bansi Lal: चिराग़ों को बुझा के हवाएँ
अँधेरों से दिल्लगी करतीं हैं
[10/02, 6:16 am] Bansi Lal: पुराने दिनों घर में अजब रिश्ता था,
दरवाज़े भी आपस मे गले लगते थे.....!!
[10/02, 6:17 am] Bansi Lal: यक़ीन हो तो
कोई रास्ता निकलता है,
हवा की ओट भी ले कर
चराग़ जलता है..
[10/02, 6:17 am] Bansi Lal: तारीफ़ के मोहताज़
नहीं होते सच्चे लोग,
असली फूलो पर कभी
इत्तर लगाया नहीं जाता ..
[11/02, 6:31 am] Bansi Lal: “दृश्य बदलने के लिए पलक का झपक जाना ही बहुत होता है।”
[11/02, 6:32 am] Bansi Lal: “हृदय से जो दिया जा सकता है वो हाथ से नहीं..
और मौन से जो कहा जा सकता है वो शब्द से नहीं..”
[11/02, 6:32 am] Bansi Lal: जन्म निश्चित है,
मरण निश्चित है..
अगर कर्म अच्छे है,
तो स्मरण निश्चित है..
[11/02, 6:34 am] Bansi Lal: तुम्हारे शहर के सारे दिए तो सो गए कब के,
हवा से पूछना ये दहलीज़ पे कौन जलता है
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