Saturday, 25 April 2020

वाक़िये तो अनगिनत हैं मेरी ज़िंदग़ी के

 दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं

लेकिन वास्तव में उनकी गूँज की कोई सीमा नहीं है
 Humble on the outside, confident on the inside.

हदें सरहदों की होती हैं...
सोच की नहीं...

बातें नज़रों से भी होती हैं...
सिर्फ़ ज़ुबान से नहीं..


वाक़िये तो अनगिनत हैं मेरी ज़िंदग़ी के 

सोच रही हूं किताब लिखूं या हिसाब लिखूं।

किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश

कौन से रिशतों मे तकलीफे नहीं होती,

उसनें जरा सा सहा भी नहीं....!

ज़ाहिर न होने देना, ये बात जहां भर में,
मैं तुमसे खफ़ा हूं, ये आपस की बात हैं


बस एक शाम का हर शाम इंतज़ार रहा

मगर वो शाम किसी शाम भी नही आई।

ऐसा नही था की तुम्हारे सवालो के जवाब मेरे पास नही होते थे... 
पर 
तुमसे हार जाना मुझे बेहद पसंद था

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