तराशीदम ,, परस्तीदम ,, शिकस्तम ,,,
मैंने तराशा , मैंने पूजा , मैंने तोड़ दिया ..!!!
इंतज़ार क्या है ?
“आँखों की बारिश में भीगती, दिल की दहलीज़!”
हुआ फिर यूँ कि उठकर नींद में चलने लगा था मैं
बताया था किसी ने ख़्वाब में तेरा पता मुझको
तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँ
हर शख़्स तुम्हारी ही तरफ़ देख रहा है ।
उसे ये शिकवा के मैं उसे समझ न सका..
और मुझे ये नाज़ के मैं जानता बस उसको था..!!
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