ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों मे हम,
रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है।
मंज़िलों की बातें तो ख़्वाब जैसी बातें हैं
उम्र बीत जाती है रास्ता बनाने में
हर मुलाक़ात पे सीने से लगाने वाले
कितने प्यारे हैं मुझे छोड़ के जाने वाले
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा कर
इतनी सी है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
वो दूर था तो बहुत हसरतें थीं पाने की
वो मिल गया है तो जी चाहता है खोने को
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी जरूरी है संभलने के लिए।
रात चाँद और मैं तीनो ही बंजारे हैं
तेरी नाम पलकों में शाम किया करते हैं
उसकी गली से उठ कर मैं आन पड़ा था अपने घर,
एक गली की बात थी और गली गली गयी...
शिकायत और तो कुछ भी नहीं इन आँखों से
ज़रा सी बात पे पानी बहुत बरसता है
बहुत भीड़ थी उनके दिल में,
ख़ुद ना निकलते तो निकाल दिए जाते
दुनिया की सबसे बेहतर दवाई है - "जिम्मेदारी"
एक बार पी लीजिए जनाब ,
जिन्दगी भर थकने नही देती!
जिन्दगी भर थकने नही देती!
सोने की जगह रोज़ बदलता हूँ मैं लेकिन
इक ख़्वाब किसी तरह बदलता ही नहीं है
उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए
इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ
ना ढूँढ मेरा किरदार दुनिया की भीड़ में,
वफ़ादार तो हमेशा तनहा ही मिलते हैं
सारे फलदार दरख़्तों पे तसर्रुफ़ उसका,
जिसमे पत्ते भी नहीं है वह शजर मेरा है
दुनिया बस इस से और ज़्यादा नहीं है कुछ
कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
निदा फ़ाज़ली
"It is good to have an end to journey toward; but it is the journey that matters, in the end."
- Ursula Le Guin
जो दुःख में जीने को राज़ी है, उससे सुख कौन छीन सकता है.
~ #Osho
हम भी ख़ुद को तबाह कर लेते
तुम इधर भी निगाह कर लेते
हर सुब्ह चहचहाती है चिड़िया मुंडेर पर
वीरान घर में आस की कोई किरन तो है
अब कोई आए चला जाए मैं ख़ुश रहता हूँ
अब किसी शख़्स की आदत नहीं होती मुझ को
अब किसी शख़्स की आदत नहीं होती मुझ को
ख़्वाहिशों के दाम
ऊँचे हो सकते हैं..
ऊँचे हो सकते हैं..
मगर ख़ुशियाँ
कभी महँगी नहीं होती..
कभी महँगी नहीं होती..
सिर्फ़ मौसम के बदलने ही पे मौक़ूफ़ नहीं
दर्द भी सूरत-ए-हालात बता देता है
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगर
सर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े
कोई ये लाख कहे मेरे बनाने से मिला
हर नया रंग ज़माने को पुराने से मिला
अगर बे ऐब चाहते हो तो फ़रिश्तों से रिश्ता कर लो,
मैं इंसान हूँ और खताएँ मेरी विरासत है...
पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है
मैं ने भी देखने की हद कर दी
वो भी तस्वीर से निकल आया
बेताबियाँ समेट के सारे जहान की
जब कुछ न बन सका तो मेरा दिल बना दिया
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