Monday, 30 July 2018

तेरे इश्क का सुरूर था

 तेरे इश्क का सुरूर था जो खुद को बर्बाद कर दिया,
वरना एक वक़्त था जब दुनिया मेरी भी रंगीन थी.

 बहुत मुश्किल है, सभी को खुश रखना,
चिराग जलाते ही, अंधेरे रूठ जाते हैं !!
"The possibilities are numerous once we decide to act and not react." - George Bernard Shaw
उन्हें ये खौफ की हर बात मुझसे कह डाली,
मुझे ये वहम की कोई ख़ास बात बाकी है
आगाह अपनी मौत से कोई बशर(आदमी) नहीं,
सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर नहीं
वो आराम से हैं....जो पत्थर के हैं , मुसीबत
तो.....एहसास वालों की है...
 नजरों से दूर हो कर भी, यूं तेरा रूबरू रहना,
किसी के पास रहने का सलीका हो तो तुम सा हो
*जो न देते थे जवाब , उनके सलाम आने लगे...*
*वक़्त बदला तो, मेरे नीम पे आम आने लगे...*
You can deal with your enemies later, first try and treat your friends a little better.
 कुछ अंधेरे भी ज़रूरी हैं यहाँ...
रौशनी कैसे भला खुद पर इतराएगी...!!
चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना
हम तो बाज़ार के बाज़ार उठा लाएँगे
 रास्ते जो भी चमक-दार नज़र आते हैं,
सब तेरी ओढ़नी के तार नज़र आते हैं
 जो बातें अधूरी हैं वो अधूरी ही सही....
बस मुस्कुराते रहो जिन्दगी इतनी बुरी भी नहीं ....
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