एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था ....
राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था .... उसी समय एक
चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी ....
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने
फन से ज़हर निकाला .... तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था
उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बुंदे खाने में गिर गई ....
किसी को कुछ पता नहीं चला .... फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने
आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते हीं मौत हो गयी .. अब जब राजा
को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला .... तो ब्रम्ह-हत्या होने से उसे
बहुत दुख हुआ .... ....
ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया ..
कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईया .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय ....
वह जहरीला हो गया है ....
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....
बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका (Pending) रहा ....
फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए ....
और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ....
तो उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया .... पर रास्ता बताने के
साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि देखो भाई ....
" जरा ध्यान रखना .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में
जहर देकर मार देता है ...."
बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे .... उसी समय यमराज ने
फैसला (decision) ले लिया .... कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल .... इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ....
यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों .... ?? जब कि उन मृत ब्राह्मणों
की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका (role) भी नही थी ....
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो .... जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं ....
तब उसे बड़ा आनंद मिलता हैं .... पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना
तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला ....
ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ....
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस
महिला को जरूर आनंद मिला .... इसलिये राजा के उस अनजाने
पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ....
बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति ....
जब किसी दुसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से (बुराई) करता हैं ....
तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा .... उस बुराई करने वाले के खाते
में भी डाल दिया जाता हैं ....
अक्सर हम जीवन में सोचते हैं .... कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप
नही किया .... फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया .... ??
ये कष्ट और कहीं से नही .... बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण ....
उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं .... जिनको यमराज बुराई करते ही
हमारे खाते में ट्रांसफर कर देते हैं ....
इसलिये आज से ही संकल्प कर लो .... " कि किसी के भी पाप-कर्मों का
बखान बुरे भाव से कभी नही करना " .... " यानी किसी की भी बुराई या
चुगली कभी नही करनी हैं " .... लेकिन यदि फिर भी हम ऐसा करते हैं ....
" तो हमें ही इसका फल जरूर भुगतना पड़ेगा .... बस आज नहीं हो कल " .... !!!!
Friday, 22 June 2018
पाप कर्म:
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