Wednesday, 14 February 2018

Sagar

[2/7, 7:42 AM] Bansi Lal:
उस के जज़्बात से यूँ खेल रहा हूँ 'साग़र'

जैसे पानी में कोई आग लगाना चाहे
💐🌹💐
[2/7, 7:44 AM] Bansi Lal:
वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब

इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जाये..
💐🌹💐
[2/7, 7:46 AM] Bansi Lal:
*ज़हन की चादर में... ख्यालों के धागे हैं...........*

*ओढ़े हैं जो किरदार... सबके सब आधे हैं*.............!!

💐🌹💐
[2/7, 7:49 AM] Bansi Lal:
एक सुकून सा मिलता है तुझे सोचने से भी

फिर कैसे कह दूँ मेरा इश्क़ बेवजह सा है...
🌹💐🌹
[2/7, 7:49 AM] Bansi Lal:
घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ

इक दिन अपना पीछा कर के देखा जाए
💐🌹💐

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