उन से फकत अपना इतना सा ही रिश्ता है .. जब वो परेशां होती है तो हमे नींद नहीं आती
बुत बने बैठे हैं कुछ बात बनाते भी नहीं,
और ये ग़ुस्सा के मैं रूठूँ तो मनाते भी नहीं...
" खुदा करे मुझको कभी मंजिल न मिले........
बड़ी मुश्किल से वो राज़ी हुआ है साथ चलने को....!!"
पीने दे शराब मस्जिद में बैठ के ग़ालिब..... या वो जगह बता दे, जहाँ खुदा न हो....!!
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