ठण्डा चूल्हा देखकर रात गुजारी उस गरीब ने...
कमबख्त आग थी की पेट में रात भर जलती रही !!
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कहने न पाए उस से सारी हक़ीक़त इक दिन..
आधी कभी सुनाई आधी कभी सुनाई..
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बिछे हुए अखबार की पुरानी खबर पढ़ रहा था ..
नज़र तारीख पे थी..यादों से लड़ रहा था ..
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दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैंकड़ों से "साहिब".
इंसान का ‘बेहतरीन‘ होना ही गुनाह है..!!
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चर्चा-ए-ख़ास हो तो क़िस्से भी ज़रूर होते हैं...
उंगलियाँ उन्हीं पे उठती हैं जो मशहूर होते हैं... 💐💐
मैं पा सका न कभी इस ख़लिश से छुटकारा,
वो मुझ से जीत भी सकता था जाने क्यूँ हारा
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आज नींद कुछ मैहरबान सी है...
कोई ख्वाब टूटने की कतार मे खड़ा है शायद..!!
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उसकी यादों से हरसू रोशनी हो जाती है,
उसकी आवाज़ से मैं दीप जला लेता हूँ.
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बेवकूफों का भी तू कर शुक्रिया
उन्ही में तू अकलमंद लगता है
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पानी मे अक्स देख कर इतराना नही...
एक कंकर पड़ने से मंजर बदल जाते है..!!!
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*"पुल "और "दीवार " दोनों के निर्माण में एक जैसा रॉ मटेरियल लगता है,*
*जबकि*
*"पुल" लोगों को जोड़ने का काम करता है,*
*और....!*
*"दीवार "अलग करने का काम करती है।।*
*"इन्सान " भी मालिक ने एक जैसे ही बनाये हैं,*
*कौन कैसा "व्यवहार" करता है यह उसके "संस्कारों" पर निर्भर है !!!!!*
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